आज एक ऐतिहासिक फैसले के दौरान माननीय उच्चतम न्यायलय ने कहा कि निजता का अधिकार भारतीय संविधान में अनुच्छेद 21 के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार में ही निहित अधिकार है। निजता के अधिकार से संबंधित मामले में प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली 9 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से आज अपना फैसला सुनाया। संविधान पीठ में न्यायमूति एस.ए. बोब्डे, न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति आर.के. अग्रवाल, न्यायमूर्ति ए.एम. सप्रे, न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नज़ीरऔर न्यायमूर्ति एस.के. कौल भी शामिल थे ।
सरकारी योजनाओं में आधार को अनिवार्य बनाने को लेकर निजता का अधिकार विवादित मुद्दा बनकर सुप्रीम कोर्ट के सामने आ खड़ा हुआ । सबसे बड़ी अदालत में सरकार के कदम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवायी के दौरान निजता के अधिकार के उल्लंघन पर गहन चर्चा हुई । आधार के तहत सार्वजनिक की जाने वाली व्यक्तिगत सूचनाओं के दुरुपयोग की आशंका भी इन याचिकाओं में व्यक्त की गयी थी ।
उच्चतम न्यायालय द्वारा इसमें क्या पाबंदियां लगाई जाती हैं यह देखना रोचक होगा ।