उत्तराखण्ड सरकार और प्रशासन पर सवाल खड़े करता अंकिता भंडारी मर्डर केस

अंकिता भंडारी मर्डर केस ने हिमालय की शीतलता समेटे उत्तराखंड की फ़िज़ां को गर्म कर दिया है। यहाँ के शान्त माहौल में अशान्ति ऐसे ही नहीं है, यह गर्मी उस वेदना की है जिसमें एक लड़की का पिता जी रहा है। यह तपिश उस आग की है जिसमें एक मासूम लड़की के स्वजन अपना सर्वस्व बेटी की चिता के साथ स्वाहा करेंगे। पहाड़ों के सन्नाटे को चीरने वाली इस चीख से उपजे ताप में हजारों बेटियों के माँ-बाप अपने सपने के साथ-साथ बेटियों के सुनहरे स्वप्नों को भी नम आँखों से जला रहे हैं। आज पहाड़ रो रहे हैं; उस बेटी के लिये जिसने अपनी आबरू का सौदा नहीं किया तो बेचारी मार डाली गयी।

हम बात कर रहे हैं यमकेश्वर-रिजॉर्ट काण्ड की। उत्तराखंड के पौड़ी, गढ़वाल जिले स्थित यमकेश्वर इलाके के एक रिजॉर्ट से 18 सितंबर से अंकिता भंडारी गायब थी। दरअसल यहाँ के रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट अंकिता की 18 सितम्बर की रात में ही हत्या कर दी गयी। उसे चिला पावर स्टेशन नहर में डुबाकर मार डाला गया, कारण; उसने सेक्स रैकेट का हिस्सा बनना कुबूल न किया। उसका शव पाँच दिनों के बाद बरामद किया गया है।

आपको ये जानकर आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि मामले को लेकर सरकार, पुलिस और प्रशासन गम्भीर नहीं था। यह कोई खास आदमी का तो मामला था नहीं कि पुलिस आरोपितों को गिरिफ़्तार करती या फिर किसी नेता-अभिनेता और नौकरशाह की लड़की भी नहीं थी जिसके लिये फिक्र की जाती। आम लड़की थी और खास आरोपित। खामोशी की वजह आरोपित का भाजपा-कनेक्शन था। मुख्य आरोपित पुलकित हरिद्वार के भाजपा नेता विनोद आर्य का बेटा है। विनोद आर्य उत्तराखंड की बीजेपी सरकार में दर्जाप्राप्त राज्यमंत्री रह चुका है। राजधानी देहरादून से 50 किलोमीटर दूर गुमशुदा बेटी की तलाश में पौड़ी के एक गाँव से आया अंकिता का पिता आधी रात तक ऋषिकेश की सड़कों पर भटकता है। पुलिस चौकियों और थानों का चक्कर काट रहा है और जिम्मेदार जनता की पूंजी से बिस्तर गर्म कर रहे हैं। बेटी की मौत की ख़बर से आहत पिता पाँच रातें पुलिसिया सिस्टम से मनुहार और प्रताड़ना में गुजारता है। उनकी आपबीती के वायरल वीडियो हर जगह हैं, आप सबने देखे भी होंगे। उन्हें ऋषिकेश कोतवाली भेजा जाता है। वह वहाँ पहुँचते हैं तो उन्हें कहा जाता है कि यह यमकेश्वर का मामला है; आपको लक्ष्मणझूला जाना पड़ेगा। अंकिता के पिता के मुताबिक उस रात वह साढ़े बारह बजे तक भटकते रहे।

सोशल मीडिया पर अंकिता को न्याय दिलाने को लेकर कैंपेन शुरू हुआ तो पुलिस और सरकार दबाव में आ गयी और कल मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा कि सचिवालय में पुलिस महानिदेशक को ऋषिकेश घटना को लेकर सख़्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। जिस किसी ने ये जघन्य अपराध किया है उसे हर हाल में कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाएगी। पुलिस अपना कार्य कर रही है। पीड़िता को न्याय दिलाना सुनिश्चित किया जाएगा।

मामला बढ़ने और पुलिस की कार्रवाई शुरू होने के बाद अंकिता की गुमशुदगी मामले में गिरफ्तारियां हुईं। अंकिता के माता-पिता ने 19 सितंबर को राजस्व पुलिस चौकी उदयपुर तल्ला में मुकदमा दर्ज कराया। मामले की गंभीरता को देखते हुए गुरुवार को इसे लक्ष्मणझूला पुलिस थाने को सौंपा गया। इसके बाद जब पुलिस ने जाँच की तो रिजॉर्ट के संचालक और उसके मैनेजरों की भूमिका सामने आयी। रिजॉर्ट के कर्मचारियों से पूछताछ में पता चला कि 18 सितम्बर की शाम आठ बजे के आसपास अंकिता रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, मैनेजर अंकित और भास्कर के साथ रिजॉर्ट से गयी थी। इसके बाद करीब साढ़े दस बजे ये तीनों ही रिजॉर्ट में लौटे। इस पूरे मामले में खुलासा रिजॉर्ट मालिक पुलकित आर्य, मैनेजर सौरभ भास्कर और असिस्टेंट मैनेजर अंकित गुप्ता से पूछताछ के आधार पर किया गया। गिरिफ़्तारी के वक्त अंकिता उनके साथ नहीं थी, जबकि प्रत्यक्षदर्शियों सहकर्मियों ने साथ में होने की बात बतायी। इस आधार पर पुलिस ने तीनों को हिरासत में लेकर सख्ती से पूछताछ की। पुलिस के सामने आरोपितों ने सच्चाई उगल दी।  उन्होंने पुलिस को बताया कि अंकिता पर वह यहाँ आने वाले ग्राहकों से सम्बन्ध बनाने को कहते थे। यह बात अंकिता सबको बता रही थी। आरोपितों से पूछताछ में उसको चिल्ला नहर में धक्का देने की बात स्वीकार की थी। इसके बाद अंकिता के शव की खोज शुरू हुई। अंकिता भंडारी के शव को बरामद कर लिया गया है। चिला नहर से ही अंकिता का शव बरामद किया गया है।

एसडीआरएफ ने इस मामले की पुष्टि की है। अंकिता हत्याकांड में आरोपितों की गिरिफ्तारी के बाद यह बड़ा डेवलपमेंट हुआ है। अंकिता के पिता ने शव की शिनाख्त की। पौड़ी के एएसपी शेखर चन्द्र सुयाल के मुताबिक, ऋषिकेश-चिल्ला मोटर मार्ग पर गंगा भोगपुर क्षेत्र में पुलकित आर्य का एक रिजॉर्ट है। इसी रिजॉर्ट में अंकिता भंडारी रिसेप्शनिस्ट के तौर पर काम करती थी।

अंकिता जब गायब हुई थी, तो मामला पटवारी चौकी (राजस्व पुलिस) के पास गया। राजस्व पुलिस का अपना एक ढर्रा है। उसे इसे उसी हिसाब से बेहद हल्के में लिया। तीन-चार दिन वे इसे टालते रहे। बेबस पिता वीरेंद्र सिंह भंडारी बेटी की बरामदगी के लिए ऋषिकेश में लगातार चक्कर काटते रहते हैं। वह राज्य की महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल से मिलते हैं। यह पुलिस का सिस्टम है। यह प्रशासन का सिस्टम है। यह सब राजधानी देहरादून से कुछ किलोमीटर दूर चल रहा होता है। जहां खुद मुख्यमंत्री मौजूद हैं। राज्य की पुलिस का चीफ मौजूद है। सारा सिस्टम मौजूद है। अंकिता हत्याकांड मामले पर लोगों में गुस्सा देखने को मिल रहा हैं। यमकेश्वर के विधायक (आरोपित के पिता भाजपा विधायक) की गाड़ी पर हमला की गाड़ी पर लोगों ने हमला कर दिया।

अंकिता की हत्या को लेकर पूरे उत्तराखंड में गुस्सा है और सोशल मीडिया पर अंकिता को न्याय दिलाने के लिए #JusticeForAnkita जैसे हैशटैग लगातार ट्रेंड में बने हुए हैं। आरोपितों के खिलाफ किस कदर गुस्सा है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जब पुलिस आरोपितों को कोर्ट ले जा रही थी तो सैकड़ों लोगों की भीड़ ने जीप पर हमला कर आरोपियों की जबरदस्त पिटाई करते हुए कपड़े तक फाड़ दिए।

जिस रिजॉर्ट में अंकिता काम करती थी वह उत्तराखण्ड के पूर्व दर्जाधारी राज्यमंत्री विनोद आर्या के बेटे पुलकित आर्या कै है, जो अपने कारनामों की वजह से पहले भी कई दफा सुर्खियों में आ चुका है। आपराधिक प्रवृत्ति का पुलकित उस समय सुर्खियों में आया था जब 2016 में उसके खिलाफ पुलिस केस हुआ था। भाजपा और उसके पिता ने नालायक बेटे के इस मोह में क्या-क्या किया यह भी गौर करने वाली बात है? पहले 2016 ईसवी में ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज में मुन्नाभाई काण्ड का पर्दाफाश होता है। पुलकित पर आरोप था कि उसने उत्तराखंड आयुष प्री मेडिकल टेस्‍ट (UAPMT) में अपनी जगह किसी और को बैठाकर परीक्षा पास की थी। एडमिशन फर्जीवाड़े में पुलकित को सस्पेंड कर दिया जाता है। उस पर केस दर्ज होते हैं, लेकिन दर्जाधारी मंत्री, यानी पिता की पहुंच काम आती है। उसे गिरिफ्तार नहीं किया जाता। यही नहीं, लाड़ले को कॉलेज में दोबारा दाखिला दिलवाने के लिए पिता ने क्या किया इसका खुलासा बाद में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार रहे मृत्युंजय मिश्र करते हैं। मिश्रजी बताते हैं कि बेटे को दोबारा दाखिला दिलवाने के लिए बीजेपी नेता विनोद आर्य ने दो करोड़ नकद और एक ऑडी कार देने की पेशकश की थी। मई 2020 में जब पूरे देश में कोरोना की वजह से लॉकडाउन लग गया था। उस समय वह कोविड नियमों को धता बताते हुए बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर हेलंग से लगे उर्गम गाँव पहुँच गया। यहाँ ग्रामीणों ने उसका विरोध किया। हालांकि उसने यहाँ भी पत्रकारों और ग्रामीणों के साथ अभद्रता की थी। इसी दौरान वह यूपी के विवादित नेता अमरमणि त्रिपाठी के साथ उत्तरकाशी के प्रतिबन्धित क्षेत्र में गया था।

यह सब जानने के बाद अंकिता का चेहरा याद कीजिए। फिर चौकी के बाहर बेबस खड़े अंकिता के पिता का चेहरा भी याद कीजिए। अब सत्ता की उस हनक महसूस कीजिए। जरा कल्पना कीजिए अंकिता के पिता जिस थाने में कार्रवाई की गुहार लगाने के लिए खड़े रहे होंगे, तो वहां स्पेशल चाय पी रहे रहे विनोद आर्य क्या कर रहे होंगे और यह भी कि अब जब उनका लाड़ला अंकिता की हत्या में पुलिस की गिरिफ़्त में है, तो वह क्या कर रहे होंगे?

और आखिर में, ट्विटर पर अपने हर काम का प्रचार करने वाले राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आप सब ट्विटर हैंडल खोलिये। जिस अंकिता की हत्या से पूरा पहाड़ तप रहा है, उस पर उनका एक अकेला वीडियो देखिये। उनकी शारीरिक भाषा पढ़िये और शब्दों को तौलिये। साथ ही राज्य के पुलिस महानिदेशक का फेसबुक पेज भी खंगालिये। इस घटना पर उनके शब्दों और बॉडी लैंग्वेज पर गौर कीजिए। अंकिता क्यों जिंदा नहीं है, आपको समझ आ जाएगा?

उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राज्य के सबसे बड़े पुलिस अधिकारी डीजीपी अशोक कुमार 22 सितम्बर को स्टेडियम में क्रिकेट का मजा ले रहे हैं। कई अन्य वीआईपी भी मौजूद हैं। देहरादून का यह स्टेडियम उसी उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की बिल्डिंग के पास है, जिसके पेपर लीक पर धामी की सरकार बुरी तरह घिरी हुई है। उसे दबाव में भर्तियां रद्द करनी पड़ी हैं। जांच बिठानी पड़ी है। और अब भारी फजीहत के बाद विधानसभा की 228 भर्तियों को भी कैंसल करना पड़ा है।

22 सितम्बर की रात तकरीबन उसी वक्त। करीब 50 किलोमीटर दूर। ऋषिकेश की एक पुलिस चौकी। इकहरे बदन का एक इंसान हाथ बेबसी में बांधे बाहर खड़ा है। यह अंकिता भंडारी के पिता वीरेंद्र भंडारी हैं। अंकिता को गायब हुए 4 दिन से ज्यादा हो चुके हैं। पिता की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। बेटी का क्या हुआ होगा? बेटी की तलाश में पुलिस-पटवारियों के चक्कर काट-काटकर वह आखिर इस चौकी पर हैं। चौकी के अंदर अलग ही पिक्चर चल रही है। अंकिता की गुमशुदगी के आरोपी पुलकित आर्य के रसूखदार पिता बीजेपी नेता व पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री विनोद आर्य पुलिस की स्पेशल चाय पी रहे हैं। बेटे को गिरिफ्तारी से बचाने के लिए वह हर तिकड़म भिड़ाने के लिए पहुंचे हैं। पुलिस का पूरा सिस्टम भी उनके साथ बैठा दिख रहा है।

अंकिता की मौत की खबर से एक सिहरन सी ऋषिकेश से गंगोत्री और माणा तक, जहां से गंगा और यमुना निकलती है, वहां की घाटियों में दौड़ जाती है। बेटियों के शरीर में एक कंपकंपी अवश्य छूटी होगी।

दरअसल यह एक बेबसी भी है। राज्य बने दो दशक से ऊपर हो गए हैं, लेकिन पहाड़ पर रोजगार और ढंग की पढ़ाई का कोई सिस्टम बन नहीं पाया। ऐसे में आगे बढ़ने-पढ़ने की चाह रखने वाली बेटियों के लिए ये शहर सपने जैसे हैं।

क्रिकेट मैच के बाद मुख्यमंत्री धामी और राज्य के सबसे बड़े पुलिस अधिकारी डीजीपी अशोक जा चुके हैं। वे चैन की नींद सोए होंगे, लेकिन थक-हारकर आधी रात पराये शहर में किसी होटल या रिश्तेदार के घर टिके वीरेंद्र भंडारी निश्चित ही सो नहीं पाये होंगे। उनकी रात करवट बदलते बीती होगी। अंकिता भंडारी अब दुनिया में नहीं है। गंगा से एक हफ्ते बाद उसकी लाश भी मिल गयी है। उसके गुनहगार पुलकित आर्य और उसके तीन साथी पुलिस की गिरिफ्त में हैं। रिजॉर्ट पर बुलडोज़र चल गया। दुर्भाग्य! अंकिता नहीं रही। एक पिता की आशा नहीं रही। शाशन-प्रशासन की इज्ज़त नहीं रही और सबसे बड़ी बात व्यवस्था पर भरोसा नहीं रहा।

             —राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ‘राघव’