डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय-
उत्तरप्रदेश के मुख्य मन्त्री को चाहिए कि वे बुन्देलखण्ड के उन क्षेत्रों का दौरा करें, जहाँ के लोग ‘घास की रोटियाँ’ खाते हैं; ज़मीन खोदकर पानी निकालते और पीते हैं; वहाँ की महिलाएँ मीलों दूर जाती हैं और पानी भरकर लाती हैं। वहाँ की बालिकाएँ-किशोरियाँ-युवतियाँ-औरतें दिनभर खटती हैं तो एक अँजुरी आटा पाती हैं।
वर्ष २०१६ में न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेकर इन विषयों पर जाँच करने का आदेश कर दिया था परन्तु जाँच किया गया था अथवा नहीं, यह सत्य अभी सामने नहीं आया है। जाँच किया गया था तो यथार्थ का प्रकटीकरण किस रूप में हुआ है, यह भी अभी अज्ञात है। न्यायालय ने और कोई कार्यवाही की है अथवा नहीं, यह भी अभी तक मालूम नहीं।
ऐसे में, सहज ही प्रश्न उठता है, उत्तरप्रदेश-शासन को संचालित करनेवाले लोग ‘बुन्देलखण्ड’ के उस भूभाग में रहनेवाले जनसामान्य की आवश्यकता के प्रति जागरूक क्यों नहीं हैं? जबसे आदित्यनाथ योगी उत्तरप्रदेश के मुख्य मन्त्री बने हैं तब से वे घोर अभावों में जी रहे जनसामान्य से कितनी बार मिले हैं और यदि मिले भी हैं तो उन लोग के उत्थान के लिए कौन-सी योजना अब तक सामने आयी है?