राघवेन्द्र कुमार राघव –
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती के बीच सीटों के बंटवारे के साथ उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नई परिपाटी की शुरुआत हो गयी है । ऐसा नहीं है कि इससे पहले सपा व बसपा का एलायंस नहीं बना है लेकिन वर्तमान परिदृश्य में दोनों का साथ आना शराब और धतूरे का मिलना है । शराब तो ज़हरीली होगी ही धतूरा ओषधीय गुणविहीन हो जाएगा । मात्र भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी की राह रोकने के लिए राष्ट्रीय राजनीति पर क्षेत्रीय राजनीति को प्रभावी करने वाली पार्टियाँ अपनी विचारधाराओं की बलि दे रहीं हैं । गठबंधन के आकार लेने के बाद कांग्रेस की स्थिति साफ हो गयी है । सपा और बसपा के इरादों को देखते हुए कांग्रेस को एलायंस से बाहर रखना राजनीति के विश्लेषकों को भी अगर रहा है । यूपी की 74 सीटें का सपा-बसपा का गणित इस तरह है —
सपा जिन सीटों पर चुनौती पेश करेगी वह हैं…
अमरोहा, आंवला, बागपत, कन्नौज, बदायूं, मैनपुरी, बरेली, बस्ती, बिजनौर, एटा, इटावा, फैजाबाद, फर्रुखाबाद, गौतमबुद्ध नगर, गाजीपुर, गोंडा, गोरखपुर, आजमगढ़, फिरोजाबाद, इलाहाबाद, बहराइच, बलिया, हमीरपुर, झांसी, कैराना, कैसरगंज, कौशाम्बी, लालगंज, मुरादाबाद, नगीना, फूलपुर, पीलीभीत, रामपुर, संभल, श्रावस्ती और उन्नाव।
बसपा का चुनावी गणित जिन सीटों पर भाजपा की परीक्षा लेगा वह हैं..
आगरा, अकबरपुर, अलीगढ़, शाहजहांपुर, सीतापुर, हरदोई, मिश्रिख, मोहनलालगंज, खीरी, अंबेडकरनगर, बांदा, बांसगांव, भदोही, घोषी, मछलीशहर, महाराजगंज, बुलंदशहर, चंदौली, हाथरस, जालौन, जौनपुर, देवरिया, धौरहरा, डुमरियागंज, फतेहपुर, फतेहपुर सीकरी, मेरठ, मिर्जापुर, मुजफ्फरनगर, प्रतापगढ़, रॉबर्ट्सगंज, सलेमपुर, संतकबीर नगर, और सुलतानपुर।