आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय :
परिदृश्य–
‘क्रिमिनल बाबा’ का अय्याशीभरा दरबार सज गया है। क्रिमिनल बाबा ओल्हरे हुए हैं। उनके चारों ओर भगतिन क्रिमिनल बाबा के हाथ-पैर मीज रही हैं। धर्म-कर्म का ठीकेदार ‘क्रिमिनल बाबा’ ६५ इंच का सीना फुलाये झाड़-फूँक कर रहा है। बाबा से मिलने और अपनी समस्या के निराकरण के लिए चार अलग-अलग टिकट-खिड़कियों पर एक किलोमीटर तक की लाइन लगी हुई है। साधारण टिकट का मूल्य २५ हज़ार, मध्यम श्रेणी का टिकट ५० हज़ार, डिलक्स टिकट ७५ हज़ार तथा सुपर क्लास का टिकट १ लाख रुपये है।
पहली भक्तिन— बाबा के चरणों मे कोटी-कोटी परनाम।
बाबा जी! मै बहुत ऐम्बिसस हूँ। हाइ फेमिली से ‘बिलांग’ करती हूँ। मेरी एजुकेशन हाईमार्का है। मेरी सादी किसी ऐसे बुढ़ऊ से करा दीजिए बाबा! जो बहुत रिच हो; मालदार हो और सादी होने के दो महीने बाद उसका विकेट डाउन हो जाये।
क्रिमिनल बाबा– तुम्हारी मनोकामना दिव्य है बेटी! अब तू मेरे बताये हुए नुस्खे का इस्तेमाल कर, तेरी इक्षा अवश्य पूरी होगी।
पहली भक्तिन– हाँ बाबा! स्योर; करूँगी। आपका जो भी आदेश हो; हुकम करें बाबा!
क्रिमिनल बाबा– तो कान खोलकर सुन! दिन में चार बार किसी बूढ़े बकरे को भरपेट छोला-भटूरा आठ महीने तक खिलाना और एक हजार गियारह बार ‘निरासाराम झाँसू’ के नाम का जाप करती रहना। उसके बाद किसी सफेद कौए को बाबा कामी रहीम की ‘लवचार्जर फिल्म एक हफते लगातार दिखाती रहना। नौवें दिन तुम्हारी मन्नत पूरी जायेगी बेटी। मन्नत पूरी होने पर एक मालदार बकरा पकड़ कर मेरे पास लाना होगा।
पहली भक्तिन— पर माहाराज! हाऊ इज इट पॉसिबिल? ‘लव् चार्जर’ फ़िल्म का जुगाड़ तो हो जायेगा? मुआ सफेद कौआ मै कहाँ से पाऊँगी?
बाबा— अरे! तूने पढ़ा नहीं या फिर सुना नहीं— कोसिस करनेवालों की हार नहीं होती। ‘आत्मनिर्भर’ बनके दिखा बच्चा! हमारे प्रधानमन्त्री भी तो यही कहते हैं। प्रयोग को ‘संयोग’ बनाना सीख।
पहली भक्तिन— जी, आछा माहाराज जी। मै भी एक ट्राई मारूँगी।
बाबा– (भक्तिन के सिर और नितम्ब-प्रान्त पर हाथ फेरते हुए) जा बच्चा! तेरा कल्याण होगा।
पहली भक्तिन– ओके बाबा! ट्राइ करनेवालों की डिफीट नहीं होती।
पहला भक्त– बाबा के चरनन मे कोटी-कोटी परनाम। बाबा! लॉक-डाउन मे पढ़ाई-वढ़ाई तो हो नहीं रही है। ‘ऑन-लाइन’ पढ़ाई मे हमारा ‘डेटा’ खर्च हो रहा है और अलग से फीस की डीमाण्ड की जा रही है। बाबा! पढ़ाई हो नहीं रही है; मगर इग्जाम होना ही है। ऐसे मे, नकल करने को कैसे मिलेगा? कोई ऐसा अकल बताओ माहाराज! जब मै नकल करूँ तब गार्डिंग करनेवाले टीचरों को नीद आ जाये।
बाबा– सुन बच्चा! किसी पुराने टीले पर चढ़कर डेढ़ महीने डेढ़ घण्टे तक डेढ़ मीटरवाले लँगोटा धारण कर डेली डेढ़ दिनो तक भाँगड़ा डांस किया कर। तू जितनी देर तक डांस करता रहेगा उतनी देर तक तेरा गार्डिंग करनेवाला खर्राटे भरता रहेगा।
पहला भक्त– माहाराज की जय हो।
दूसरी भक्तिन– बाबा जी के चरणों मे कोटी-कोटी प्ररनाम।
बाबा– बता बच्ची! तेरे को क्या प्रॉब्लम है?
दूसरी भक्तिन– बाबा! मै ‘लेडी डान’ बनना चाहती हूँ। कुछ ऐसा करो बाबा कि रातों-रात मेरे हाथों मे ‘एके-47’ आ जाये और मेरा रूतबा बुलन्दियों को छू जाये। मै जिधर से निकलूँ, लोग अपने घर मे घुसकर खिड़कियों से मुझे देखते रहें। आय मीन, एवरीह्वेयर कर्फ्यू-जैसी सीन दिखे। क्या ऐसा पॉसिबिल है महाराज? इस पॉवर को एचीव करने के लिए मै कुछ भी कर सकती हूँ।
बाबा– तो ठीक है सुन! तू दस्यु सुन्दरी सीमा परिहार और सुरेखा के मेहँदी लगे हाथों की पिसी पुदीने की पाँच किलो चटनी तीन सालों तक डेली नाइट मे डेढ़ बजकर सत्रह मिनट पौने तीन सेकण्ड तक नाइटी धारण कर अगरबत्ती की लाइट मे उल्लुओं की आवाज निकालते हुए, चाटा करो; तुम्हारी सारी मन्नत पूरी जायेगी।
दूसरी भक्तिन– क्रिमिनल बाबा की जय हो।
दूसरा भक्त (नेता)— माहाराज जी के चरणन मा कोटी-कोटी परनाम बाबा!
बाबा— तेरे को क्या तकलीफ है बच्चा! तू नेता लगता है। तू दुइ हजार बाईस का पश्चिमी उत्तरप्रदेश से एलेकशन निकालना चाहता है?
दूसरा भक्त (नेता)— धन्य हो बाबा धन्य! आप तो मेरो मन की सारी इक्षा जान गयो।
बाबा— बोल क्या चाहता है बच्चा!
दूसरा भक्त (नेता)– वही जो आप मेरो मन की बात जान्यो है। ईह बार मन्ने टीकठा दिलाय द्यो माहाराज।
बाबा— इसके लिए तुम्हें देस के संसद के दक्षिणी कोने मे एक बेसरम/बेहया के पौधे को लगाना होगा और हर तीसरे दिन देस के संसद मे बेठनेवाले सबसे बेहया/बेसरम सांसद की एक बेसरमीभरी फोटू उस बेहया की एक पत्ती पर बिल्ली की टट्टी को हाथ से लेप लगाकर चिपकाने होंगे। ध्यान रहे, हर बार एक नया सांसद की फोटू रहे। इस तरह से हर तीसरे दिन एक नये बेसरम सांसद की फोटू चिपकाते रहने के साथ ही तुम्हारा यह धार्मिक अनुस्ठान चलता रहेगा।
दूसरा भक्त (नेता)— माहाराज! मन्ने इ किरिया-करम कब तक करनू हँय?
बाबा– बच्चा! लगातार पाँच साल तक। छठा साल तुम्हारी जाति-बिरादरीवाले नेता तुम्हैं टिकट दै देंगे।
दूसरा भक्त– महाराज की जै हो।
इस प्रकार ‘क्रिमिनल बाबा’ का दरबार समाप्त हो जाता है।
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २० जनवरी, २०२२ ईसवी।)