संडीला विकास खंड के तिलोइया खुर्द ग्राम में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र हरदोई द्वितीय द्वारा किसान प्रक्षेत्र पाठशाला कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान किसानों को मृदा स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया गया।
कार्यक्रम में केंद्र की विशेषज्ञ अंजलि साहू ने रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों पर चर्चा करते हुए रासायनिक खेती को कम करने तथा प्राकृतिक खेती द्वारा फसल उत्पादन एवं गुणवत्ता युक्त उपज प्राप्त करने की विधियों को विस्तार से बताया। खेत की तैयारी करते समय घन जीवामृत का उपयोग करने की विधि बताते हुए कहा कि फसल को पोषक तत्व मिट्टी से प्राप्त होते हैं, मिट्टी में पोषक तत्व नहीं होंगे तो फसल को पोषक तत्व प्राप्त नहीं होंगे और हमारी फसल का उत्पादन अच्छा नहीं होगा।
पोषण के लिए सूक्ष्मजीव उत्तरदाई होते हैं। यदि खेत में सूक्ष्म जीवों तथा देसी केचुओ की संख्या पर्याप्त हो तो हमारी फसल का उत्पादन अच्छा होता है। खेत में सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ाने हेतु देसी गाय के गोबर एवं गोमूत्र का उपयोग करना आवश्यक है। देसी गाय के गोबर, गोमूत्र, बेसन, गुड़, पेड़ के नीचे की मिट्टी को मिलाकर हम जीवामृत तरल खाद, घन जीवामृत जैसी सूखी खाद बनाकर फसलों को पोषक तत्व उपलब्ध करा सकते हैं।
बीजोपचार के लिए बीजामृत का उपयोग कर सकते हैं एवं बीमारियों के नियंत्रण के लिए नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र, दशपर्णी, अग्नि अस्त्र आदि जैविक कीटनाशक बनाकर नियंत्रण कर सकते हैं। मृदा स्वास्थ्य में बायोफॉर्मूलेशन का उपयोग प्रभावकारी होता है। केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित हेलो बीआरडी द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन करके खेत में धान के पुआल को सड़ा सकते हैं, इससे अगली फसल का उत्पादन बढ़ जाता है। प्राकृतिक खेती से उपज की गुणवत्ता बढ़ती है और स्वास्थ्यप्रद के लिए रसायन मुक्त भोजन प्राप्त होता है जो अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करता है। इस कार्यक्रम में लगभग 50 पुरुष एवं महिलाएं सम्मिलित हुई। उपस्थितजन मे महेंद्र सिंह, नसीम जहां, राजकिशोर, राजेंद्र यादव, मोहर्रम अली, दीपक यादव, प्रताप सिंह आदि प्रमुख रहे। कार्यक्रम का संचालन सत्येंद्र कुमार यादव ने किया।