बड़ी बात : इतनी ठण्डी क्यों !

महेन्द्र महर्षि-


किसी ने बर्फ़ से पूछा, “तुम इतनी ठण्डी क्यों हो” ?  बर्फ़ का जबाब थामेरा भूत भी पानी, वर्तमान -पिघलता पानी और भविष्य का कल भी पानी, तो गरम होकर क्या मिलने वाला है। “ यह कह कर उसने अपना पिघलना जारी रखा। उसे आगे जाना था जहाँ कोई प्यासा इंतज़ार में था तो कहीं पौधा बूँद बूँद को राह देख रहा था। आगे ही आगे कहीं उसे शिला शिखर पर छोड़ने के लिए बादल उड़ने को तैयार था या फिर नदियाँ उतावली कि सागर उन्हें बूँद बूँद समेट कर लाने की गुहार लगाता अपना लेने को आतुर। पिघलना अस्तित्व मिटना नहीं, विशाल में समा जाना है।


एक विचार का विस्तार विवेचन। १६.३.२०१८, गुरुग्राम।