सई नदी की करुण कथा : पौराणिक और ऐतिहासिक नदी मर रही है

आचार्य पण्डित पृथ्वीनाथ पाण्डेय का ‘शब्दरथ’ प्रयागराज से लखनऊ प्रस्थान करने के लिए तत्पर/सन्नद्ध

‘आचार्य पण्डित पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला और कर्मशाला’ विगत वर्षों मे देश के अनेक राज्यों मे प्रसार करती गयी है, जिसका एकमात्र उद्देश्य रहा है, सार्थक शब्दपथ से च्युत (पृथक्, अलग) व्यक्ति को सम्यक् शब्द-धारण (प्रयोगसहित) कराकर, उसका पथ प्रशस्त करना। हमे अपने इस उद्देश्य, ध्येय तथा लक्ष्य-सम्प्राप्ति मे कभी कहीं कोई व्यतिक्रम (व्यवधान, बाधा तथा रुकावट) का सामना नहीं करना पड़ा है; क्योंकि हमारा ‘शब्दरथ जिस दिशा मे निकल पड़ता है, सारस्वत वातावरण प्रकट हो आता है। (यहाँ ‘जाता है’ का प्रयोग अशुद्ध है।)

हमारा ‘शब्दरथ’ कल (८ फ़रवरी) प्रयागराज से लखनऊ के लिए प्रस्थान करेगा; क्योंकि ‘दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान’, बख़्शी का तालाब, लखनऊ की ओर से ९ फ़रवरी को उसी के सभागार मे पूर्वाह्ण ११ बजे से पाठशाला/ कर्मशाला का आयोजन होना सुनिश्चित हुआ है। वह आयोजन ‘आन्तर्जालिक’ भी होगा, जिससे ३३ जिला ग्राम्य विकास संस्थान तथा १७ क्षेत्रीय ग्राम्य विकास संस्थान के अधिकारियों, सामान्य कर्मियों तथा अन्य जन अर्थात् हज़ारों जन दूरस्थ प्रशिक्षा के रूप मे ग्रहण कर सकेंगे। इस ‘शब्दसंधान’ से उत्तरप्रदेश के अतिरिक्त बिहार आदिक राज्यों के भी अधिकारी और अन्य कर्मी लाभान्वित हो सकेंगे।

उक्त कर्मशाला मे अपरनिदेशक, समस्त निदेशकों, उपनिदेशकों, संकाय-सदस्यों तथा अधिकारियों की उपस्थिति मे ‘दैनिक और शैक्षिक-प्रशैक्षिक जीवन मे शुद्ध और सरल हिन्दी-भाषा का व्यवहार कैसे करें’ विषय पर समग्र मे शुद्धाशुद्ध शब्द-प्रयोग के संदर्भ मे व्याकरण और भाषाविज्ञान के अंगोपांग को समझाया जायेगा। समस्त प्रशिक्षुओं के प्रश्नो के सकारण उत्तर दिये जायेंगे और उनकी शब्दप्रयोगगत जिज्ञासा का शमन भी किया जायेगा।

निस्सन्देह, वह आयोजन ‘ऐतिहासिक’ होगा।