लघुकथा : अवाक्

आकांक्षा मिश्रा, गोंडा, उत्तर-प्रदेश

सुबह रिया ने आवाज दी रिशु बेटा उठो मम्मा आज जल्दी क्यों, पता है रिशु आज हम लोग गांव जा रहे है ; दादी से मिलने ।

मम्मा गांव में मजा आएगा दादी से मिलने की उत्सुकता लिए रिशु तेजी से गांव जाने की तैयारी करने लगती है ।रिशु अपने कपड़े ,खिलौने जल्दी -जल्दी रखने लगी …..तभी रिया रिशु को समझाते हुए कहती है !देखो रिशु हम लोग सिर्फ 2 दिनों के लिए गांव जा रहे है अगर दादी रोकती है तो रुकना मत बता देना कि पढ़ाई ख़राब होगी । दादी से मिलने की तीव्रता अब धीमी पड़ने लगी ; रिशु सोचने लगी दादी से कैसे वह झूठ बोलेगी ………?

रिया -उमेश दोनों रिशु को लेकर गांव पहुचते है …..बूढ़ी अम्मा बेटे और बहू के आने की खबर सुनते ही पूरे घर में गोबर से लीपकर साफ करती है । अम्मा के खुश होने पर पड़ोस की रनिया पूछती है ,”का बात है काकी बहुत खुश हो कौवनो बात हुआ है का “नहीं रनिया उ का है उमेश शहर से गांव आवत है तुम जानत हउ पूरे तीन बरस बाद ……यह कह कर अम्मा तुलसी के चौरा पर जल चढ़ाने चली गयी …….उमेश घर के दरवाजे पर जैसे ही खड़ा होता है अम्मा तेजी से पीठा लेकर बहु और रिशु दोनों को उबार कर जमीन पर चढ़ा कर झट रिशु को गले लगा लेती है ……रिया थकान के कारण पलंग पर बैठ जाती है उमेश पुराने घर को देखने लगता है जो इस बार जर्जर की हालत में है …पर अम्मा इस घर से जाना नही चाहती है ….आगे अम्मा उमेश और बहू के आने की ख़ुशी में तरह -तरह के पकवान बना कर बड़े प्यार से बेटे के थाली में परोसे जा रही है ….रिशु बड़े ध्यान से दादी को देख रही है .तभी रिया की उमेश से कहती है रिशु तो यह सब नही खा सकती है …उसके लिए कुछ बना देती हूँ ; इतना सुनते ही अम्मा खीर लेकर आती है “अरे बहू नाहक परेसान होवत हू हमने अपनी नातिन के लिए खीर बनाकर रखा है “अम्मा बड़े प्यार से रिशु को गोदी में बिठाकर खीर खिलाती है । तभी रिशु कहती है दादी आप हमारे साथ चलो;”नहीं बिटिया इहा केहू नही रहिये तो इहा का होइ तुम्हारे दादा ने बहुत जतन से इका ….है ;…अच्छा दादी अब आप हमारे नही चल सकती लेकिन कुछ दिन के लिए चले ;अच्छा ठीक है बिटिया । इस बार रिया अम्मा को साथ चलने की जिद कर लेती है …..पड़ोस की रनिया आती है रिशु से मिलने अम्मा बताती है की इस बार उसे भी शहर जाना है रिशु जिद कर रही है ….रनिया रिशु से कहती है दादी के पास रुक जाओ इस पर रिशु तपाक से कहती है नही रुक सकते ममा ने कहा है कि दादी रुकने के लिए कहती है तो मत रुकना कह देना पढ़ाई खराब होगी ….रिशु की बात सुनकर रनिया हँसकर अम्मा को देखती हुई कहती है :सुन लिया काकी ….अम्मा काम के बहाने से उठकर जाने के लिए खड़ी होती है परन्तु भरे हुए नेत्रो से एक कदम आगे नही जा सकी आँसुओं की धारा आँखों से बहने लगती है …..रिशु के पूछने पर बस इतना ही रुँधे गले से……हा गुड़िया तुम्हें
पढ़ना है…मेरी बिटिया खूब पढ़ेगी …….रिशु को गले से लगाते हुए …..ममा ठीक ही कहती है ………।
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