राघवेन्द्र कुमार राघव–
विश्वास से बड़ी कोई ताक़त नहीँ।
सन्देह से बड़ी कोई आफ़त नहीँ।
इच्छाओं से बड़ा कोई रोग नहीँ।
सत्यान्वेषण से बड़ा कोई योग नहीँ।
मन मुक्त न हो तो अपना ही शत्रु है।
स्वाधीन मन सबसे बड़ा मित्र है।
मनुष्य परिस्थितियों का दास है।
इसलिए इसे ज्यादा की प्यास है।
विश्वास से ही ईश्वर का अस्तित्त्व है।
विश्वास नहीँ तो शून्य व्यक्तित्त्व है।
ईमान आजकल मतलब का नाम है।
काम हो तो राम-राम करता शैतान है।
अपने लाभ के लिए रिश्ते तोड़ देते हैं।
अपने बन के लोग आत्मा नोच लेते हैं।
अपने पाप दूसरों के सिर पे डाल देते हैं।
आँसुओं मे भीगकर खुद ही साफ होते हैं।
मौन अस्त्र है बड़ा इसको साध लीजिए।
वक़्त के उस न्याय का बस इन्तज़ार कीजिए॥