बकरीद पर जानवर कटेंगे, यीशु के जन्मदिनपर कैंडल जलेंगी लेकिन दीपावली पर पटाखे फोड़ना पाप

कोमल गुप्ता जी की फेसबुक वॉल से-


मुझे बहुत प्यार है जानवरों से, पेड़ों से, पक्षियों से। धमाकों की आवाज़ से जब पक्षी डरे-सहमे से दिखते हैं तो मुझे दुःख होता है। सड़क के बीच बने डिवाइडर में लगे काले, मुरझाए, बीमार से पेड़-पौधे देखकर मन करता है कि इन्हें किसी साफ जगह लगा दूँ।
पर, फिर भी मैं पटाखों पर बैन का विरोध करती हूँ। पिछली बार दिल्ली वालों ने इतने पटाखे फोड़े कि बदायूँ तक अगले दिन कोहरे की चादर में लिपटा था। बड़ा गुस्सा आया कि, कैसे मूर्ख हैं ये दिल्ली वाले। क्या हाल कर दिया है। सांस लेना तक मुश्किल हो गया है।
पर, मैं फिर भी पटाखों पर बैन का विरोध करती हूँ।
पिछले महीने बकरीद पर आपने जानवरों के कटने पर बैन लगाया होता तो हम आपके निर्णय का स्वागत करते।
क्रिसमस पर आप मोमबत्तियां जलाने पर बैन लगाने का वादा करें, तो हम इस निर्णय का स्वागत करेंगे।
अब क्या जवाब देंगे हम अपने बच्चों को?
बेटा, अल्लाह को प्यारी है कुर्बानी, इसलिए बकरीद पर जानवर कटेंगे।
बेटा, प्रभु यीशु का जन्मदिन है तो कैंडल तो जलेंगी।
पर बेटा, राम के बारे में कुछ पक्का नहीं है कि वे थे भी या नहीं। इसलिए उनके अयोध्या आने की ख़ुशी में पटाखे फोड़ना पाप है।
क्षमा कीजिये महोदय! हम इतने बेशर्म और दोगले नहीं हैं।
हम कहेंगे बेटा! दिल्ली में बिकने बंद हैं न। दुनिया के दूसरे कोने से खरीद और फोड़। पिछली बार से दोगुने फोड़।
ये मैं कह रही हूँ। मैं! जो हर साल लिखती थी कि, ‘दीवाली पारंपरिक तरीके से मनाइये। सरसों के तेल के दीपक जलाइये। वातावरण को शुद्ध बनाइये। पटाखे और बिजली की लड़ी दीवाली का हिस्सा नहीं।’
हमें अपने देश से प्रेम है, इसकी हवा से, मिटटी से, पानी से प्रेम है तो इसका यह अर्थ नहीं कि इनके नाम पर हमें किसी भी हद तक दबाया जायेगा।
ये देश हमारा, इसके संसाधन हमारे। हम बचाएं या न बचाएं, हमारी इच्छा।
दिल्ली वालों! फोड़ो।