संवाद से ही समाधान

(शाश्वत तिवारी)

शाश्वत तिवारी

लखनऊ।  विधान सभा सत्र के दूसरे दिन आज किसानों के आंदोलन और उन्नाव की घटना को लेकर  खासा हंगामा हुआ । जहाँ किसान आंदोलन को लेकर प्रश्नकाल नहीं हो सका और सदन की कार्यवाही लगभग सवा घंटे स्थगित रही।  

वहीं  उन्नाव  की घटना को लेकर बसपा ने वाकआउट किया।  आज सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सपा के वरिष्ठ सदस्य और नेता प्रतिपक्ष कार्यवाही रोककर कृषि कानूनों और किसान आंदोलन को लेकर चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे थे।

विधानसभा अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष का यह मांग स्वीकार नहीं कि तो सपा के साथ कांग्रेस के सदस्य भी वेल में आ गए हंगामे और शोरशराबे के चलते पहले साढ़े बारह बजे तक फिर पन्द्रह-पन्द्रह मिनट के लिए तीन बार सदन की कार्यवाही स्थगित हुई। साढे़ बारह बजे सदन की कार्यवाही शुरू होतेे ही पहले दिवंगत सदस्यों के साथ पूर्व राष्टपति प्रणब मुखर्जी और पूर्व राज्यपाल मोतीलाल बोरा को श्रद्धांजलि दी गयी। सदन के व्यवस्थित होते विपक्ष के सदस्य कृषि कानून और किसान आंदोलन को लेकर चर्चा कराए जाने की मांग करने लगे। विधानसभाध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित द्वारा बार बार इस मुद्दे पर चर्चा बाद में कराए जाने के आश्वासन देने के बाद भी नेता प्रतिपक्ष रामगोबिन्द चैधरी इस मुद्दे पर अपनी बात रखते रहे। जिस समय किसानों के मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष अपनी बात रख रहे थे उस समय नेता सदन व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने दोनों सरकारों पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि तीन महीने से किसान अपनी मांगों को लेकर आंदोलित हैं और सरकार उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है। इस आदोंलन में दो सौ से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है। किसानों की मौतों पर भाजपा का कोई नेता या सरकार का कोई मंत्री सांत्वना देने तक नहीं गया। कहा कि किसानों पर दिल्ली में अत्याचार हो रहा । उन पर लाठियां बरसाई जा रही हैं। किसान किसी जाति धर्म का नहीं होता है। वह हर धर्म और समाज का होता है। अन्यदाता के खिलाफ कानून बनाना उन पर अत्याचार करने जैसा है। उन्होंने कहा कि किसानों का आंदोलन कुचलने के लिए जितना कड़ा पहरा लगाया गया है उतना पहरा तो चीन और पाकिस्तान के बार्डर पर भी नही लगाया गया है। अपना पक्ष रखने के बाद नेता प्रतिपक्ष रामगोबिन्द चौधरी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सुने बिना ही सदन से वाकआउट कर गए। बसपा के विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा ने कहा कि सरकार किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन पर आक्रमण कर रही है। किसान आंदोलन के साथ ही उन्होंने बिजली और डीजल की बढ़ी कीमतों का मुदृदा भी उठाया।

सदन में मौजूद होने के नाते मुख्यमंत्री और नेता सदन योगी आदित्यनाथ ने किसान आंदोलन को लेकर विपक्ष द्वारा बहाए जा रहे आंसुओं को घड़ियाली बताया। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को लेकर किसान नहीं दलाल लोग परेशान है। जिन लोगों को कषि कानूनो के बारे में नहीं मालूम वहीं लोग आंदोलन को लेकर हो हल्ला मचा रहे है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के पिछले एक साल के कार्यकाल में किसानों को जितना धान और गन्ने का भुगतान किया गया उतना पिछले पांच साल की सरकारों में नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि लाकडाउन के दौरान भी मंडियों में अनाज और मिलों में गन्ने की खरीद जा रही थी। उन्होंने किसानों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन के बावत कहा कि संवाद से ही समस्या का समाधान निकलेगा। इस दिशा में सरकार की ओर से कई बातचीत का न्यौता दिया गया बावजूद आंदोलित किसान नेता सही बात मानने को तैयार नहीं है। उन्होंने कृषि कानूनों को किसान के लिए हितकारी बताया। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन को लेकर विपक्ष की चिंता में सदभावना कम दुर्भावना ज्यादा छुपी है। उन्होने कहा कि किसानों और कषि कानूनों जैसे विषय पर बोलने से पहले अध्ययन करना चाहिए। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि आंदोलन के नाम पर जिस तरह संवैधानिक प्रतीकांे का अपमान किया गया वह सीधे संविधान पर हमला था। यह सरकार किसानों की सबसे बडी हितैषी है इसंका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 12 करोड़ किसानों के खाते में किसान सम्मान निधि भेजी गयी। विपक्ष के वाकआउट पर उन्होने कहा कि विपक्ष यदि कोई मुदृदा उठाए तो उसे सुनने की भी आदत डालनी चाहिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का उल्लेख करने और चलाए जा रहे आंदोलन पर अपना पक्ष रखने के बाद भी बसपा विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा ने इस मुदृदे पर चर्चा कराए जाने की अपनी मांग पर अडे रहे। इससे पूर्व श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने विपक्ष का किसान आंदोलन को लेकर विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे मुद्दे का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि विपक्ष जनविरोधी और किसान विरोधी है। उन्होंने खुद किसानों पर हमेशा लाठियां बरसाई हैं। गोलियां चलवाई हैं। ये किसानों को भ्रमित कर रहे हैं। जबकि संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने विपक्ष के आंचरण की निंदा करते हुए कहा कि यह वही लोग घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं जिन्होंने महेंद्र सिंह टिकैत पर इतनी लाठियंा बरसाईं यह सभी को याद है। उन्होंने ही महेंद्र सिंह टिकैत को दो महीने तक जेल में ठूंसे रखा। अब ये किसानों की बात कर रहे हैं। ये बताएं टप्पल में किसने किसानों पर गोलिया चलवाईं। इसके अलावा सदन में विभिन्न क्षेत्रों के सदस्यों द्वारा क्षेत्र से संबधित याचिकाएं भी पटल पर रखी गयी।