(शाश्वत तिवारी)
माना जा रहा है कि कुछ विकसित देश साल 2021 के अंत तक कोरोना टीकाकरण के लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे, लेकिन ज्यादातर देशों को यह लक्ष्य प्राप्त करने में समय लगेगा। यदि सभी गरीब और विकासशील देशों की पहुंच वैक्सीन तक संभव नहीं हो सकी, तो विश्व मानवता और विश्व अर्थव्यवस्था दोनों को नुकसान उठाना पड़ेगा। करोड़ों लोगों को कोरोना की पीड़ा से बचाना तो मुश्किल हो ही जाएगा, वैश्विक अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में भी कठिनाई बढ़ जाएगी।
कोरोना नए- नए रूपों में लोगों की जान लेता रहेगा और बार-बार वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित होती रहेगी। ऐसे में गरीब और विकासशील देशों के लोगों के लिए टीकाकरण मैं भारत की कल्याणकारी भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी। जरुरी है कि कोरोना से हाहाकार के बीच भारत के वैक्सीन का वैश्विक हब बनने की जो नई संभावनाएं निर्मित हुई है, उन्हें मुठ्ठी में लेने का हरसंभव प्रयास किया जाए ताकि मौका जाया ना हो।