पनवाड़ी का बेटा बना आइएएस अफसर

प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं और न ही उसे कोई रोक नहीं सकता। भले ही परिस्थितियां कितनी भी विषम क्यों न हों। इसी को साबित करते हुए लखनऊ के ईश्वर कुमार कांदू ने भी तमाम कठिनाइयां झेलने के बाद भी सिविल सेवा की परीक्षा पास कर ली है। वह मेहनत करने वालों के लिए एक नजीर बन गए हैं।

माना जाता है कि आइएएस का बेटा आइएएस या डॉक्टर का बेटा डॉक्टर और पान वाले का बेटा पान वाला ही बनता है। इस अवधारणा को झुठलाया है लखनऊ के गणेशगंज में पान की दुकान चलाने वाले शिव प्रसाद गुप्ता के बेटे ईश्वर कुमार कांदू ने। ईश्वर कुमार कांदू की मेहनत को ईश्वर भी देख रहा था। उनसे सिविल सेवा परीक्षा पास करने आइएएस अफसर बनने के अपने तथा पिता के सपने को साकार कर दिखाया। ईश्वर को यूपीएससी परीक्षा में 187 रैंक मिली है। ईश्वर को सिविल सेवा परीक्षा पास करने की जानकारी जबसे मिली, परिवार संग पड़ोसी भी फूले नहीं समा रहे हैं।

गणेशगंज निवासी ईश्वर कुमार कांदू ने कक्षा पांच में आजमगढ़ जिले के महाराजगंज में दसवीं तक शिक्षा ग्रहण की। जब पांचवीं में थे तो एसडीएम ने सम्मानित किया। इसके बाद उन्होंने आजमगढ़ से ही हाईस्कूल मेरिट में 18वीं रैंक हासिल की। फिर वह आगे की पढ़ाई करने लखनऊ आ गया। राजधानी के महानगर ब्वायज कॉलेज (मोंटफोर्ट कॉलेज) से 73 फीसद अंकों के साथ इंटर पास किया। इसके बाद ईश्वर ने प्रदेश के गाजियाबाद कृष्णा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से वर्ष 2013 में इलेक्ट्रॉनिक्स में बीटेक किया। घर के हालत बेहतर न होने की वजह से ईश्वर ने कई निजी कंपनियों में काम किया। नौकरी के साथ-साथ उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की ओर तीन बार असफलता का स्वाद चखने के बाद आखिरकार चौथे प्रयास में परीक्षा उत्तीर्ण कर लक्ष्य को हासिल कर लिया और आइएएस बन गए।


यकीन था चौथे प्रयास में सफलता का


ईश्वर कुमार कांदू 18 अप्रैल को सिविल सेवा परीक्षा का साक्षात्कार देने के बाद एक दिन के लिए माता-पिता के पास राजधानी आया था। मां ने पूछा कैसा रहा, उसने बता दिया की मां तेरे लाडले को आइएएस बनने से कोई रोक नहीं सकता। रिजल्ट आया तो सबसे पहले मां को ही इसकी जानकारी दी। बैंक से 3.65 लाख रुपये लोन लेकर लाडले को पढ़ाने वाले पिता शिव प्रसाद की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। अब तो अवार्ड हाथों में लेकर उसके होने का एहसास भी करने लगे हैं। पिता कहते हैं कि वर्षो पहले मैंने जो सपना देखा था, आज वह पूरा हो गया। अब तक उनके परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी में था। उनके बेटे ने यह रिकार्ड तोड़ दिया।


नानी के घर बिगड़ा नहीं, बन गया बेटा


कहा जाता है कि अधिक लाड प्यार से नानी के घर बच्चे बिगड़ जाते हैं, लेकिन ईश्वर तो बिगडऩे के बजाय बन गया। ईश्वर कुमार कांदू का ननिहाल आजमगढ़ जिले के महाराजगंज में हैं। जहां पर उन्होंने हाईस्कूल तक की शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद वह अपने पिता के पास लखनऊ आ गए। उसको कंप्यूटर गेम से लेकर चेस तक में महारत हासिल है। मां कुसुम देवी बताती हैं कि घर में जब कभी मेहमान आते थे तो वह अपने किताबें लेकर छत पर चला जाता था और पढ़ता था। घर छोटा होने की वजह से जब कभी दिन में पढ़ाई का मौका नहीं मिलता तो वह रात में जागकर अपनी पढ़ाई करता। स्कूल से कभी उसकी शिकायत नहीं आई।


खुद चुकाया बैंक का कर्ज


पिता ने बेटे की शिक्षा के लिए बैंक से लोन लिया था। कुछ समय तो पिता ने बैंक की किस्तें जमा कीं, इसके बाद ईश्वर ने खुद बैंक का कर्ज अदा किया। ईश्वर की इस लगन और सफलता को देखकर नौकरी कर रहे इंटर पास छोटे भाई रामेश्वर गुप्ता ने भी आगे पढ़ाई करने का मन बनाया है। वहीं, बहन अनुराधा गुप्ता एमकॉम कर रही हैं।