समभाव के प्रतीक अमर क्रांतिकारी उधम सिंह

 भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महानायक उधम सिंह प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे जिन्होंने हमें अंग्रेजों की गुलामी से आज़ाद कराया। 26 दिसम्बर 1889 को जन्मे उधम सिंह ने पंजाब के अंग्रेज गवर्नर को लंदन में गोली मार दी थी। 
जलियावालां बाग के ह्रदय विदारक हत्याकांड का बदला लेने के लिए उन्हीने जनरल डायर को लंदन में गोली चलाई थी। वे निर्भीक देशप्रेमी क्रांतिकारी थे जिनका एक ही उद्देश्य था भारत को आज़ाद कराना। इनके बचपन का नाम शेर सिंह था। पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम गाँव के उधम सिंह ने इतिहास में नाम अमर कर दिया। माँ पिताजी के निधन के बाद उधम खालसा के अनाथालय में रहे। वहाँ से वे उधम सिंह कहलाये। उन्होंने अंग्रेजों को सबक सिखाया। जब जनरल डायर ने असंख्य लाशें बिछा दी थी ये सब निर्दोष थे। आदमी बारूद के ढेर से उड़ा दिए गए। 21 मार्च को इन्होंने डायर को गोली से मार दिया। स्वयं को आत्म समर्पण कर दिया था। 31 जुलाई को इन्हें फाँसी दी गई। सारे देश मे उस दिन उधम सिंह का जयकारा लगा। अमर शहीद उधम सिंह की जय से आसमान गूँज गया था। 
वे देश मे समभाव के प्रतीक थे। इसलिए उन्होंने अपना नाम बदलकर राम मोहम्मद सिंह आजाद रख लिया था जो भारत के 3 प्रमुख धर्मो का प्रतीक है। राम-हिन्दू,मोहम्मद-मुस्लिम,सिंह-सिख।

1919 में उधम सिंह ने अनाथालय छोड़ा था वे क्रांतिकारियों से मिले और हमे आजादी दिलाई। अनाथ होने पर भी वे तनिक भी विचलित नहीं हुए।

महान क्रांतिकारी स्वत्रंतता संग्राम के महानायक को उनकी वीरता शौर्य साहस के लिए सदैव याद करते हुए आओ हम सभी उनको कोटि कोटि नमन करें। उनकी देशभक्ति हमें प्रेरणा देती रहेगी।

-डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित
कवि, साहित्यकार