कछौना : वर्तमान समय में गौवंशों के संवर्धन हेतु सरकार द्वारा प्रभावी कदम न उठाया जाने के कारण सड़क दुर्घटनाओं में इजाफा हुआ है। किसान रात रात भर आवारा पशुओं से फसल बचाने के लिए रतजगा करने को विवश हैं।
आवारा पशुओं से निजात के लिये प्रत्येक ग्राम पंचायत में 20 से 30 पशुओं का अस्थायी पशुबाड़ा तैयार कराया जा रहा
गौवंशों की धार्मिक मान्यता व उपयोगिता के चलते मोदी/योगी सरकार ने गौवंशों के वध पर कठोरता से रोक लगा दी है। कृषि में उपयोगिता न होने के कारण पशुपालकों ने पशुओं को आवारा छोड़ दिया है। जिसके कारण गांव-गांव काफी संख्या में आवारा गौवंश घूमते हैं। आवारा गौवंश लोगों के लिए काफी परेशानी खड़ी कर दी है। सड़कों पर बैठे होने के कारण सड़क हादसों में इजाफा हो गया है। अब रेलवे ट्रैक भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं। आवारा गौवंश रेलवे ट्रैक पर पहुंचकर आए दिन दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं। कई गौवंश ट्रेन की चपेट में आने से असमय मृत्यु हो रहे हैं। जिससे एक बड़ा हादसा होने की प्रबल संभावना बनी रहती है। रेलवे विभाग के संरक्षण व संचालन में दिक्कत होती है। ग्राम सभाओं में खोले गए गौआश्रय केंद्र कागजों पर चल रहे हैं। मृत पशुओं को कोई उठाने वाला नहीं है। वह रेलवे ट्रैक में पड़े पड़े सड़ जाते हैं। कुत्ते और कौवे नोच नोच कर मृत गोवंश के शवों को खाते रहते हैं। मृतकों के शवों की बदबू से राहगीरों को काफी परेशानी होती है। आसपास के ग्रामों में संक्रामक बीमारी फैलने की प्रबल संभावना बनी रहती है।
यातायात निरीक्षक ने बताया कई बार खंड विकास अधिकारी कछौना को पत्र लिखकर आवारा गौवंशों को गौशाला में भेजने के लिए पत्र लिख चुके हैं। परंतु कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई है। जिसका खामियाजा बेजुबान पशु व किसान के साथ आम जन मानस उठा रहे हैं।
रिपोर्ट – पी०डी० गुप्ता