गधा-हड़ताल ज़िन्दाबाद!

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
(प्रख्यात भाषाविद्-समीक्षक)

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय-


गधे बेचारे सोच रहे हैं, हम तो ‘गधे-के-गधे’ रहे और जो हमसे रात-दिन प्रेरणा लेता रहा, वह तो ‘शातिर’ निकला। ऐसे में, गधों की मण्डलीे ‘जन्तर-मन्तर’ में आगामी १५ अक्तूबर को रविवार के दिन आपात् बैठक बुलाकर अब भविष्य में अब किसी को भी ‘सशर्त्त प्रेरणा’ देने पर और विश्वासघाती नेता से ‘प्रेरणा’ वापस कराने को लेकर विचार-मन्थन करने का फ़ैसला लिये जाने पर विचार करेगी। इससे अब देश के समस्त गधाभक्तों, विशेषत: कथित ‘विश्वासघाती गधाभक्त’ की रातों की नींद उड़ चुकी है। सभी गधाभक्त ‘विज्ञानभवन’, दिल्ली में “चिंपो-चिंपो” का अभ्यास कर, समस्त असंतुष्ट गधों को मिलाने की रणनीति बनाने में व्यस्त दिखायी दे रहे हैं। इसके लिए ‘विश्वासघाती गधाभक्त’ ने अपनी देख-रेख में एक शिष्टमण्डल तैयार किया है, जो असन्तुष्ट गधों के प्रतिनिधियों से भेंटकर उन्हें ‘राष्ट्रीय धारा’ में लाने के लिए अनुनय-विनय करेगा। समझा जाता है कि गुजरात-राज्य में कराये जानेवाले चुनाव को लेकर यह वार्त्ता महत्त्व की होगी।
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, एक हफ़्तेभर के भीतर देशभर के गधे ‘गधे से प्रेरणा’ लेनेवाले तत्कालीन ‘विश्वासघाती गधाभक्त’ को सीख सिखाने के लिए ‘पी०एम०ओ० से लेकर ‘देश के सारे हवाई अड्डों’ पर मुश्तैदी के साथ ‘दुलत्ती’ झाड़ने के लिए तैनात हो जायेंगे। उधर पी०एम०ओ०-कार्यालय से छनकर एक महत्त्वपूर्ण जानकारी हमारे हाथ लगी है; और वह यह कि देशभर के धोबियों के पीछे गुप्तचर-एजेंसियाँ लगा दी गयी हैं और यह भी कि अब किसी भी समय अध्यादेश जारी कराकर देशभर के गधों को सड़क पर निकलने पर पाबन्दी लगा दी जायेगी।

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