नरेन्द्र मोदी का विकल्प अब परिस्थिति के गर्भ में

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय 


देश का अब तक सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला आपकी नाक के नीचे कर दिया गया और आप सोते रह गये!..? अब देश ऐसे लापरवाह चौकीदार को बदलने के लिए तत्पर है।
कितनी लज्जा की बात है कि उस घोटाले को गम्भीरता से लेने की जगह देश के सत्ताधारी और विपक्षी आरोप-प्रत्यारोप लगाने में लगे हुए हैं। घोटाला आर्थिक है और सफ़ाई क़ानून मन्त्री देता है, सियासत कितनी अकर्मण्य दिख रही है। वित्तमन्त्री मुँह छुपाये कहाँ बैठा है? ‘भारतीय रिजर्व बैंक’ का गवर्नर मौन क्यों है?
अब सबसे पहले पारदर्शिता के साथ इस महा आर्थिक घपले की सिलसिलेवार जाँच की जानी चाहिए। जो भी उस प्रकरण में दोषी दिखे, उसे सीधे आरोपित बनाकर गिरिफ़्तार किया जाये।
सूत्रों से ज्ञात होता है कि प्रकरण यू०पी०ए०-शासनकाल से आरम्भ होकर एन०डी०ए० के शासनकाल तक फूलता-फलता रहा और सत्ताधारी मौन बने रहे। यहाँ तक कि वर्तमान प्रधान मन्त्री-कार्यालय को भी उस घोटाले की जानकारी दी गयी थी किन्तु उस कार्यालय के अधिकारी कानों में तेल डाले बैठे रहे। ज़ाहिर है, प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी के संज्ञान में भी वह आर्थिक भ्रष्टाचार था परन्तु वे नीरव मोदी के आकर्षण में बँधे रहे।
“न खाऊँगा, न खाने दूँगा” की जुम्लेबाज़ी करनेवाले और देश की जनता की भावनाओं के साथ ‘प्रधान जनसेवक’, ‘चौकीदार’ जुम्लों को फेंककर खिलवाड़ करनेवाले नरेन्द्र मोदी अभी तक मौन क्यों हैं? ‘नोटबन्दी’ लागू करते समय वे ‘राष्ट्र के नाम सन्देश’ करते रहे परन्तु आज जब जनसामान्य की गाढ़ी कमाई को लूटकर नीरव मोदी ऐण्ड कम्पनी ले भागी है, उसे देश की जनता को कब और कैसे लौटाया जायेगा, इसकी ‘गारण्टी’ देश की एन०डी०ए०-सरकार में प्रधान मन्त्री अभी तक क्यों नहीं दे पा रहे हैं। यह एक प्रकार से सरकार की नाकामी को सामने लाता है।
अब भी जो लोग ऐसे नकारे और नितान्त स्वार्थपरक नेतृत्व के सामने किसी ‘विकल्प’ की बात करते हैं, वे देश के लिए घातक हैं क्योंकि विकल्प परिस्थिति की कोख से जन्म लेता है और अब परिस्थिति ‘गर्भधारण’ कर चुकी है। विश्वास है, हृष्ट-पुष्ट ‘विकल्प’ पैदा होगा।