क़ुद्रत का क़ानून! विधि का विधान! ईश्वर की माया : कहीं धूप-कहीं छाया!
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय यह लोक विचित्रता से युक्त है; कहीं दिन मे ‘रात’ है तो कहीं रात मे ही ‘दिन’ है। अब देखिए न, ऊपर जो चित्र दिख रहा है, वह किसी बच्ची […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय यह लोक विचित्रता से युक्त है; कहीं दिन मे ‘रात’ है तो कहीं रात मे ही ‘दिन’ है। अब देखिए न, ऊपर जो चित्र दिख रहा है, वह किसी बच्ची […]