एक अभिव्यक्ति
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–कई अनकहे पल, फुसफुसाते हैं कानो मे;बिनब्याही बातों का, हिसाब हम नहीं करते।दो–तू उसे भूलने की बात, हर बार क्यों करता है;वह तो कभी याद आने की बात करता ही […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–कई अनकहे पल, फुसफुसाते हैं कानो मे;बिनब्याही बातों का, हिसाब हम नहीं करते।दो–तू उसे भूलने की बात, हर बार क्यों करता है;वह तो कभी याद आने की बात करता ही […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय काल के कपोलों पर,अप्रत्याशित शैली मेजैसे ही मैने अधरों से हस्ताक्षर किये,वह संन्यस्त-सा भाव लिये बोला,“तुमने भेद जिया का क्यों खोला?”मेरा मन भोला, कुछ नहीं बोला। (सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० […]
★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय (एक)भाषा बनावटीशैली मिलावटीप्रस्तुति हस्पताल में।(दो)भाषा बदरंगशैली मलंगप्रस्तुति मधुशाला में।(तीन)कथ्य निहत्थातथ्य बेसुरे“हँसुए के ब्याह में खुरपे का गीत”।(चार)भयंकर आँधी-तूफ़ानकहीं कोई अप्रिय घटना नहींअसहयोग आन्दोलन है।पाँचबित्ताभर ज़मीन नहींनाम ‘पृथ्वीनाथ’घोटाला-ही-घोटाला! (सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य […]
★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय यक़ीं नहीं आताख़ुद को देख रहा हूँ।अतीत, वर्तमान तथा भविष्य के गलियारों मेंढूँढ़ रहा हूँअपने न होकर भी हो जाने के साक्ष्य कोपर हर बारख़ुद को ख़ुद सेठगा हुआ पा […]
डॉ०पृथ्वीनाथ पाण्डेय भाषा ले रसगागरी, चली पिया के देश। अगवानी में लिपि रही, मन्त्रमुग्ध परिवेश।। सौम्य कविता-कामिनी, ले रचना परिधान। उपमा, अद्भुत, सोरठा, सबका है सम्मान।। वहीं समीक्षा बैठकर, रहि माथा खुजलाय। कैसे-कैसे कवि यहाँ, […]