क्रोध के स्वर : सिंहों पर हमने कुछ गीदड़ रौब जमाते देखे हैं
योगेश समदर्शी (हास्य एवं ओज कवि)- जुगनू कुछ सूरज को हमने अब धमकाते देखे हैं सिंहों पर हमने कुछ गीदङ रौब जमाते देखे हैं बहकावे में आकर जिसने हाथ में पत्थर थाम लिए और शत्रु […]
योगेश समदर्शी (हास्य एवं ओज कवि)- जुगनू कुछ सूरज को हमने अब धमकाते देखे हैं सिंहों पर हमने कुछ गीदङ रौब जमाते देखे हैं बहकावे में आकर जिसने हाथ में पत्थर थाम लिए और शत्रु […]