“हिन्दीशब्द के प्रयोग मे असावधानी बरती जा रही”― आचार्य पं० पृथ्वीनाथ
“देशभर मे शासकीय-अर्द्ध-शासकीय एवं अशासकीय कार्यालयों मे कार्यालयीय हिन्दीशब्द-प्रयोगों की दशा अति शोचनीय है। इसका मुख्य कारण है, हिन्दी-भाषा को हस्तामलक समझ लेना। यही कारण है कि उन कार्यालयों से जब कोई पत्र निर्गत होता […]