‘हिन्दी में’ साहित्यिक संस्था द्वारा आयोजित ‘कविताई’ (अध्याय – चार) हुआ भव्य और ऐतिहासिक रूप से संपन्न
‘मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगरलोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया’ मजरूह सुल्तानपुरी का यह शेर ‘हिन्दी में’ संस्था द्वारा आयोजित कविता यात्रा का कार्यक्रम ‘कविताई’ पर सटीक बैठता है। रविवार 25 […]