जीवन का आह्वान
आत्मीय पाठकगण !मैं मानसिक स्तर पर घड़ी की गति से भी तीव्र गति में चलते रहने का पक्षधर रहा हूँ। विगत समय के कतिपय वर्षों में मैंने अपने सारस्वत कोश में भाँति-भाँति के इतने शब्द-सञ्चय […]
आत्मीय पाठकगण !मैं मानसिक स्तर पर घड़ी की गति से भी तीव्र गति में चलते रहने का पक्षधर रहा हूँ। विगत समय के कतिपय वर्षों में मैंने अपने सारस्वत कोश में भाँति-भाँति के इतने शब्द-सञ्चय […]