ठिठुरन भरी पूस की रात
हम गरीबों का मसीहा कौन है?चांँद से बातें करता हूंँ , सिर पे मांँ – बाप का हाथ नहीं,पर , छोटे भाई का साथ है ,अब खोने को कुछ बचा क्या है!अपना कोई ठिकाना नहीं […]
हम गरीबों का मसीहा कौन है?चांँद से बातें करता हूंँ , सिर पे मांँ – बाप का हाथ नहीं,पर , छोटे भाई का साथ है ,अब खोने को कुछ बचा क्या है!अपना कोई ठिकाना नहीं […]