“डंके की चोट पे” अब दो हज़ार बाईसवाँ वर्ष जीना है
★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय पौने तेरह महीने तू-तू, मै-मै और न जाने क्या-क्या लोग करते रहे हैं और जैसे-जैसे तेरहवें महीने के गर्भ से दो हज़ार बाईसवाँ फुदकने की तैयारी मे है; लोग शिकवा-शिकायत-गिला […]