‘रिश्वतख़ोरी’ और ‘दलाली’ हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है

July 14, 2018 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ‘मुण्डकोपनिषद्’ से लिया गया राष्ट्रीय आदर्श वाक्य ”सत्यमेव जयते” को निरस्त कर, देश के समस्त निजी, शासकीय-अर्द्ध-शासकीय कार्यालयों, प्रतिष्ठानों, साहित्यिक संस्थानों, अधिष्ठानों, परिषदों, समितियों, मण्डियों, मन्त्रालयों, न्यायालयों, संसद्, विधानमण्डल, विधान परिषद्, विधानसभा […]