दीप

October 28, 2024 0

दीप जलते नहींजलाए जाते है।मोहब्बत की नहीं जातीनिभाई जाती है।खुशियां आती नहींलायी जाती है।अपने बनते नहींबनाए जाते है।कर्म दिखाए नहींकिए जाते है।हमसफर दिखाया नहींबनाया जाता है।सत्य समझाया नहींसमझा जाता है।श्री राम जन्म नहीं लेतेकर्मो से […]

दीपावली पर कविता : दीपकों के धर्म से रात भी है जागती

October 24, 2022 0

राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ‘राघव’– मृत्तिका निर्मित दीये से है अमावस काँपती। जलते हुए नन्हें दीये से डरकर निशा है भागती। दीपक-देह की अभिव्यंजना से रात जगमग हो रही। दीपकों के धर्म से रात भी अब […]