देख शून्य की ओर, अपनी व्यथा सुनाती हूंँ
शून्य मैं अपने जीवन सेजब कभी हताश होती हूंँ , देख शून्य की ओरअपनी व्यथा सुनाती हूंँ। मौन होकर वह मुझे सुनता ,मेरे मन का बोझ हल्का होता , चेतना प्रकाश से कहती –उसकी चुप्पी […]
शून्य मैं अपने जीवन सेजब कभी हताश होती हूंँ , देख शून्य की ओरअपनी व्यथा सुनाती हूंँ। मौन होकर वह मुझे सुनता ,मेरे मन का बोझ हल्का होता , चेतना प्रकाश से कहती –उसकी चुप्पी […]