धूप-दर्शन April 5, 2022 0 ★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–पुरवइया हलकान है, पछुआ करे न बात।घूँघट दिखती साँझ है, सूरज मारे लात।।दो–लू चलती ज्यों आग है, आँख उठे यों पीर।ऋतु कोलाहल यों पड़े, दहक रहा ज्यों तीर।तीन–मन तो बहुत […]