कब तक मरेगी?

May 16, 2022 0

राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ‘राघव‘ कल भी मरी थी कल भी मरेगी! आख़िर वो कितनी बार जलेगी? पहले तो तन को भेड़िया बन नोच डाला। शरीर से आत्मा तक छेद डाला । लाश बच रही थी […]

सगर्व-सहर्ष घोषणा–

July 30, 2021 0

मेरी बहुप्रतीक्षित पाण्डुलिपि ‘नारीचरितमानस’ (समग्र नारी-दर्शन) अब अन्तिम रूप ग्रहण कर चुकी है। एक बार दृष्टि-अनुलेपन करूँगा, तदनन्तर उसे प्रकाशन-प्रक्रियाओं के साथ सम्बद्ध करने पर विचार करूँगा। इसमें भावपक्ष, हृदयपक्ष, विचारपक्ष :– आदर्श और यथार्थ […]

तथाकथित नारी-विमर्श का ‘सच’

June 12, 2020 0

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय नारी को जहाँ तक सम्भव है, सब तरह से बाँध कर रखना; पुरुष का एकान्त अनुगत कर देना, यह समाज-व्यवस्था के लिए कार्यकर होने पर भी समाज-जाति की प्रगति के […]