कविता : पिता
पिता का आशीर्वादहरे दुर्वादल के जैसा ;जिंदगी में कभी अपने को कमजोर न समझना ,थोड़े से में भी खुश रहना। पिता का दुलारशहद के जैसा ;मातृभूमि रक्षा हेतु, धूलि तिलक कर ,वीरपुत्र को रणक्षेत्र में […]
पिता का आशीर्वादहरे दुर्वादल के जैसा ;जिंदगी में कभी अपने को कमजोर न समझना ,थोड़े से में भी खुश रहना। पिता का दुलारशहद के जैसा ;मातृभूमि रक्षा हेतु, धूलि तिलक कर ,वीरपुत्र को रणक्षेत्र में […]
कवि राजेश पुरोहित, भवानीमंडी घर का रखवाला होता है पिता चिन्ता रख घर परिवार चलाता मजदूरी कर लाता पेट भरने को भूखे रहकर निवाला खिलाता है सर्दी गर्मी बारिश सहता है पिता फिर भी कितना […]