प्रेम तो मैत्री से भी ऊँचा
मित्रता पाने की नहीं करने की चीज है।प्रेम तो मैत्री से भी ऊंचा है।प्रेम बाहर से नहीं मिलेगा।प्रेम तो प्रत्येक को अपने भीतर जगाना होता है वह भी अपने से अधिक श्रेष्ठ व्यक्ति के प्रति।निकृष्टों […]
मित्रता पाने की नहीं करने की चीज है।प्रेम तो मैत्री से भी ऊंचा है।प्रेम बाहर से नहीं मिलेगा।प्रेम तो प्रत्येक को अपने भीतर जगाना होता है वह भी अपने से अधिक श्रेष्ठ व्यक्ति के प्रति।निकृष्टों […]