हृदय के विकास का परिणाम है प्रेम

April 1, 2023 0

प्रेम जब भी होता है एकतरफा ही होता है।दूसरों से अपने लिए प्रेम की आशा केवल मूर्ख को होती है बुद्धिमान को नहीं। प्रेम तो हृदय के विकास का परिणाम है। मांगने या देने की […]

समर्पण मे ही प्रेम की पूर्णता है

January 21, 2023 0

सर्वस्व समर्पित हुए बिना किसी का प्रेम पूर्ण नहीं होता।जब तन मन प्राण आत्मा से पूर्णतः समर्पित होकर मनुष्य अपने इष्ट में स्थित होता है तभी वह अपने स्वाभिमान से मुक्त होकर इष्ट ही हो […]

प्रेम ही संसार को सुखी बनाता है

January 16, 2023 0

दूसरे से जुड़ने और उसकी महिमा में खो जाने की इच्छा ही प्रेम है।इससे ही संवेदना जागती है, सरलता और विनम्रता आती है। दूसरे को स्वीकार करवाती है यह प्रेम की तड़प।दूसरे के संपर्क से […]

प्रेम और तपस्या

July 14, 2021 0

प्रेम शब्द बड़ा व्यापक है। मीराबाई कृष्णभक्त थी। मीरा प्रेम दीवानी हो गई। कृष्ण भजन में लीन हो गई। प्रेम परमात्मा से करना चाहिए। प्रेम में विश्वास हो श्रद्धा हो समर्पण हो तभी प्रेम सच्चा […]

मैं प्रेम पथिक आवारा भँवरा, काँटों से भी प्यार करूँ

July 5, 2018 0

जगन्नाथ शुक्ल…✍ (इलाहाबाद) मैं प्रेम पथिक आवारा भँवरा, काँटों से भी प्यार करूँ, अधर लिखें चुम्बन की पाती, नयनों  से संवाद करूँ। ऋतु वसंत की मादकता हो, या पावस के भारी दिन, उर में बजती  नित […]