वह वाक़िफ़ है, बस्ती मे नामर्द ही रहते हैं
— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय नुमाइश करता और कराता है चालाकी से,पर्दा गिराता और उठवाता है चालाकी से।लोग उसके मुरीद अब भी हैं बनते देखो!कटोरा हाथ में थमवाता है चालाकी से।दर-दर की ठोकरें खाओ तो […]
— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय नुमाइश करता और कराता है चालाकी से,पर्दा गिराता और उठवाता है चालाकी से।लोग उसके मुरीद अब भी हैं बनते देखो!कटोरा हाथ में थमवाता है चालाकी से।दर-दर की ठोकरें खाओ तो […]