अपने को बुद्धिजीवी माननेवालो!
डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय बेशक, तुम्हारे चिन्तन चुराये हुए हैं। किराये की कोख से जन्मे या फिर परखनली में उपजे तुम्हारे वे शब्द हैं, जिन्हें पक्षाघात ने जकड़ लिया है। कोई थिरकन नहीं? प्रतिक्रिया-रहित संवेदना-शून्य तुम्हारा […]