मन नहीं बुढ़ाता
सुधेश- चलते चलते हाथ पाँव थकते चलने की चाह नहीँ मरती देखते देखते आँखेँ धुँधलातीँ देखने की चाह नहीँ मरती दुनिया की चखचख सुनते कान बधिर सुनने की चाह नहीँ मरती घर बाहर का सब […]
सुधेश- चलते चलते हाथ पाँव थकते चलने की चाह नहीँ मरती देखते देखते आँखेँ धुँधलातीँ देखने की चाह नहीँ मरती दुनिया की चखचख सुनते कान बधिर सुनने की चाह नहीँ मरती घर बाहर का सब […]