मैं प्रेम पथिक आवारा भँवरा, काँटों से भी प्यार करूँ
जगन्नाथ शुक्ल…✍ (इलाहाबाद) मैं प्रेम पथिक आवारा भँवरा, काँटों से भी प्यार करूँ, अधर लिखें चुम्बन की पाती, नयनों से संवाद करूँ। ऋतु वसंत की मादकता हो, या पावस के भारी दिन, उर में बजती नित […]
जगन्नाथ शुक्ल…✍ (इलाहाबाद) मैं प्रेम पथिक आवारा भँवरा, काँटों से भी प्यार करूँ, अधर लिखें चुम्बन की पाती, नयनों से संवाद करूँ। ऋतु वसंत की मादकता हो, या पावस के भारी दिन, उर में बजती नित […]