भगवान भोलेनाथ किसी भी युग में अपने भक्तों को निराश नहीं करते!
सतयुग :- एक पौराणिक प्रसंग के अनुसार सबसे पहले ब्रह्मा तथा विष्णु ने ज्योतिर्लिंग के माध्यम भगवान शंकर के ब्रह्मस्वरूप की पूजा की थी। इससे प्रसन्न होकर शिवजी ने कहा- आज तुमने मेरे चिन्मय स्वरूप […]