अज्ञेय के निबन्ध ‘संवत्सर’ पर दो टूक टिप्पणी
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय नीचे अज्ञेय के निबन्ध ‘संवत्सर’ का एक अंश दिया गया है, जिसमे वे ‘अतिरिक्त’ बुद्धिवाद बघारते हुए दिखते हैं। अज्ञेय अपने शब्दजाल मे पाठकवर्ग को ऐसे फँसाते हैं कि वह […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय नीचे अज्ञेय के निबन्ध ‘संवत्सर’ का एक अंश दिया गया है, जिसमे वे ‘अतिरिक्त’ बुद्धिवाद बघारते हुए दिखते हैं। अज्ञेय अपने शब्दजाल मे पाठकवर्ग को ऐसे फँसाते हैं कि वह […]
लिपि– किसी भाषा की लिखित आकृति ‘लिपि’ कहलाती है। जिस प्रकार भाषा की उत्पत्ति कब से हुई है, इसका कोई सर्वमान्य उत्तर अब तक प्राप्त नहीं हो सका है उसी प्रकार लिपि की व्युत्पत्ति का […]
■ अरबी-फ़ारसी शब्दों का शुद्ध प्रयोग करना सीखेंआज हम लीक से हटकर उस मार्ग पर चलेंगे, जिस पर चलने का साहस हमारे ‘विद्वज्जन’ नहीं कर पाते हैं; और वह मार्ग है, ‘विलक्षण ज्ञानमार्ग’। हम जब […]
● शब्द-विचार– ज़िम्म:दार-ज़िम्म:वार/ज़िम्मादार-ज़िम्मावार ● शुद्ध शब्द ‘ज़िम्म:दार’ और ‘ज़िम्म:वार’ हैं। अब प्रयोग के धरातल पर यही दोनो शब्द क्रमश: ‘ज़िम्मेदार’ और ‘ज़िम्मेवार’ बन गये हैं, जो कि अशुद्ध और अनुपयुक्त हैं। हम इसका ‘ज़िम्मादार’ और […]
शब्द– एहसास-एहसान, दम्पती, नवरात्र, ब्रह्मा तथा मनोरंजन। ★ एहसास– प्राय: जनसामान्य इस शब्द को ‘अहसास’ बोलता-लिखता आ रहा है, जो कि पूरी तरह से ग़लत है। कुछ लोग तो एहसास का हिन्दीकरण ‘अहसास’ समझते और […]
शब्द– परिवेश और परिवेष। ★ परिवेश– यह ‘संस्कृत-भाषा’ का शब्द है। शब्दभेद की दृष्टि से यह विकारी ‘संज्ञा-शब्द’ है। लिंगानुशासन इसे ‘पुंल्लिंग’ (‘पुंलिंग’, ‘पुल्लिंग’ अशुद्ध हैं।) के रूप मे स्वीकार (‘स्वीकारता’ अशुद्ध है।) करता है। […]
—-०दो टूक०—- ● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय जो भी व्यक्ति इस विषय का पक्षधर है कि उसके लिए ‘भाषा-शुचिता’ से अधिक ‘मात्र सम्प्रेषणीयता’ का महत्त्व है, वह मेरी मैत्री-सूची से स्वयं को ‘सदैव’ के लिए […]
एक आभासी मित्र के लेखन पर मैने एक टिप्पणी की थी :—“ध्यातव्य– व्यक्ति का निर्माण कोई नहीं कर सकता; निर्माण केवल ‘कृत्रिम वस्तु’ का होता है। आप कर सकते हैं– व्यक्तित्व का विकास/संवर्द्धन।”इस पर उनकी […]
आइए! सत्य-संधान करें। प्राय: सत्य स्वयं मे नितान्त कटु होता है। इसका आयाम बृहद् है— कहीं मृदु अनुभव होता है तो कहीं कठोर। यहीं पर सत्य की प्रियता-अप्रियता की यापित काल-खण्डों मे गहन अनुभूति होती […]
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••कल (१० अप्रैल) ‘रविवार’ रहेगा और आपको ‘झंकार’ के दूसरे पृष्ठ पर ‘दैनिक जागरण-परिवार’ की रविवासरीय भाषिक प्रस्तुति ‘हिंदी हैं हम’ के अन्तर्गत ‘भाषा की पाठशाला’ मे महत्त्वपूर्ण शब्दों :– ‘अरण्यरोदन’, ‘छूमन्तर’, ‘ठठोली’ आदिक का […]
खेद है! शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) और माध्यमिक शिक्षा परिषद् के सभापति श्री विनय कुमार पाण्डेय को यही नहीं मालूम कि परीक्षा ‘निरस्त’ की गयी है या फिर ‘स्थगित’ की गयी है। उल्लेखनीय है कि देश […]
कल (२० फ़रवरी) रविवार रहेगा। आप ‘दैनिक जागरण-परिवार’ की रविवारीय/ रविवासरीय प्रस्तुति ‘भाषा की पाठशाला’ में कल ऐसे अनेक शब्दों का अध्ययन करेंगे, जिनके अर्थ को न समझते हुए, अधिकतर जन मौखिक और लिखित भाषाओं […]
आप प्रत्येक वर्ण के पञ्चमाक्षर/पंचमाक्षर का प्रयोग सम्बन्धित प्रत्येक शब्द में ‘लेखनी’ के माध्यम से तो कर सकते हैं; किन्तु ‘टंकण-माध्यम’ से वैसा सम्भव नहीं हो पा रहा है। ऐसा इसलिए कि सम्बन्धित ‘सॉफ़्टवेअर’ की […]
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••◆ प्रश्न– निम्नांकित वाक्यांशों में से कौन-से शुद्ध हैं, उन्हें यहाँ लिखें/टंकित करें?१- संवेदनाओं को तीव्रतर से तीव्रतर अनुभव।२- प्रेमचन्द्र के सर्वश्रेष्ठ कहानियां।३- संकल्पों को लेनी हैं।४- चक्रवाती तूफानों का भारी आतंक।५- साहित्य की निर्माण, […]
◆ निम्नांकित वाक्यों/वाक्यांशों को शुद्ध करें :–१- फुलों का विकसित होने से।२- गाड़ी से तीन सवारी गिरा।३- शपथनी का कथन।४- पौधरोपण की।५- उसने श्राप दी।६- महिला कार्यकर्ता आते। शुद्ध उत्तर हैं :–(१) कलियों के विकसित […]
——० संरचना-पक्ष ०—– ★ रचना— किसी भी उस पद्य अथवा गद्य-कृति को ‘रचना’ कहते हैं, जिसका प्रवाह नैसर्गिक होता है और सर्जन करने के लिए किसी का आश्रय नहीं लेना पड़ता। ★ लेख— किसी विषय […]
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••शब्दविचार••••••••••••••• परम–१- किसी क्षेत्र में सर्वाधिक उन्नत, सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण।२- किसी दिशा अथवा सीमा में अग्रसर (सबसे आगे बढ़कर चलनेवाला)।३- जिसके हाथों में सम्पूर्ण शक्ति हो (शक्तिमान्)इनके अतिरिक्त मुख्य; आदिम को भी ‘परम’ कहते हैं।उदाहरण के […]
टी० ह्वी० पर विद्यार्थियों को शिक्षित करने के उद्देश्य से ‘किशोर-मंच’ नामक एक ‘चैनल’ संचालित किया जाता है। आज (३ जुलाई) ‘किशोर-मंच’ चैनल पर रात्रि ११ बजे एक शिक्षक कक्षा नौ की पुस्तक स्पर्श, पाठ […]
‘दैनिक जागरण’ की ‘शनिवासरीय’ प्रस्तुति ‘भाषा की पाठशाला’ में हम ‘दो शब्दों’ पर सम्यक् रूपेण विचार करते हैं और अन्त में उन शब्दों के प्रति अपनी पाठक-पाठिकाओं को जागरूक करते हैं, जो अनभिज्ञता के कारण […]