मन की गाँठ
अन्तर्द्वन्द्व से परे ● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय [अभी-अभी मेरे विचारलोक मे एक साथ इतने शब्दचित्र उतरने लगे कि तज्जनित/तज्जन्य (‘तद्जनित’ अशुद्ध है।) विविध भाव/रस का प्लावन होने लगा और उसकी राशि की निष्पत्ति अधोटंकित […]
अन्तर्द्वन्द्व से परे ● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय [अभी-अभी मेरे विचारलोक मे एक साथ इतने शब्दचित्र उतरने लगे कि तज्जनित/तज्जन्य (‘तद्जनित’ अशुद्ध है।) विविध भाव/रस का प्लावन होने लगा और उसकी राशि की निष्पत्ति अधोटंकित […]