गणनाप्रसंग मे प्रेमचन्द के आगे ठिठक जाते हैं पाँव!..?
कल (३१ जुलाई) प्रेमचन्द की जन्मतिथि/ जन्मदिनांक थी। कथा-विषय पर जब संवाद-परिसंवाद होता है तब समीक्षक पारदर्शिता के साथ ‘प्रेमचन्द’ से आगे बढ़ नहीं पाता है। यह अलग विषय है कि कतिपय साहित्यिक गुटों की […]