मेरे हुजूर!
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय बेशर्म निगाहों का भ्रम तोड़िए हुजूर!झूठी आदतों को आप छोड़िए हुजूर!मर रहा आँखों का पानी आपका हर बार,बिखरा है देश अपना, उसे जोड़िए हुजूर!सब्ज़बाग़ देखकर आँखें गयी हैं थक,नज़रें ज़ुम्लेबाज़ी […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय बेशर्म निगाहों का भ्रम तोड़िए हुजूर!झूठी आदतों को आप छोड़िए हुजूर!मर रहा आँखों का पानी आपका हर बार,बिखरा है देश अपना, उसे जोड़िए हुजूर!सब्ज़बाग़ देखकर आँखें गयी हैं थक,नज़रें ज़ुम्लेबाज़ी […]