मा! मौन को चीरो
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय कौन-सा अपराध!कैसी गुस्ताख़ी!मै तो था,मात्र मास का एक लोथड़ा।शक़्ल इख़्तियार करने से पहले हीमेरे वुजूद को मिटा डाला?तुम ‘ममत्व’ और ‘अपनत्व’ केअन्तर्द्वन्द्व में उलझी रही;पिता लोक-लज्जा का स्मरण कराते हुए,तुम्हें […]