राजनीति है ताइफ़:, कमर हिलाते लोग
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–कैसे तुम श्री राम हो, उन्मादी के संग!..?भक्ति-भाव से दूर सब, गिरगिट-सा है रंग?दो–राम रमापति भूलकर, रक्त से रँगते भव।उन्मादी ललकारते, बने लावारिश शव।।तीन–मन्दिर-मस्जिद कुछ नहीं, साथ रहेगा कर्म।भले रगड़ […]