रामराज्य की कल्पना
अभिजीत मिश्र, बालामऊ बालि द्वारा शासित किष्किंधा में राम चाहते तो अपना उपनिवेश स्थापित सकते थे और अपने मन का कोई व्यक्ति राजगद्दी पर बिठा सकते थे… पर इस क्षेत्र में डर से कौन प्राणी […]
अभिजीत मिश्र, बालामऊ बालि द्वारा शासित किष्किंधा में राम चाहते तो अपना उपनिवेश स्थापित सकते थे और अपने मन का कोई व्यक्ति राजगद्दी पर बिठा सकते थे… पर इस क्षेत्र में डर से कौन प्राणी […]
‘सर्जनपीठ’, प्रयागराज की ओर से आन्तर्जालिक राष्ट्रीय बौद्धिक परिसंवाद सम्पन्न ‘सर्जनपीठ’, प्रयागराज की ओर से २१ जनवरी को ‘सारस्वत सदन’, अलोपीबाग़, प्रयागराज की ओर से ‘रामराज की प्रासंगिकता : वर्तमान संदर्भ मे’ विषय पर एक […]
क्या रामराज में सतयुगीन वर्णाश्रमधर्म लौट आया था?गोस्वामी तुलसीदास ने तो लिखा था…!यदि रामराज आ चुका था तो रामराज को पुनः लाने की बात गांधीजी कैसे कहते थे..? उत्तर :-दुनिया को ‘रामराज्य’ की नहीं ‘न्यायराज्य’ […]
शालू मिश्रा, युवा कवयित्री, नोहर (हनुमानगढ़, राजस्थान) जो सारी धरती का स्वर्ग कहलाता है कश्मीर, दहशत की आग में आज जलता जा रहा है । उद्योगों से सज रहे है देखो अनेको नगर, गंगा का […]