वीतराग मन कह रहा, जीवन है निस्सार

August 25, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–गगरी अधजल दिख रही, छलक रहा है बोध।चिन्तन चला वितान ले, मानसपथ अवरोध।।दो–मरा-मरा ही तत्त्व है, तत्त्व राम से हीन।तत्त्वज्ञान राहित्य है, पापपंक मे लीन।।तीन–वीतराग मन कह रहा, जीवन है […]