व्यंग्य : लोग सहिये में बहुत एडवांस हो गए हैं!
एक जमाना था, जब पहले शादी होती थी। शादी से भी पहले गोदभराई, रिंग सेरेमनी, बरीक्षा, तिलक (फलदान) और भी न जाने क्या- क्या होता था। शादी हो जाने के बाद भी नसीब वालों के […]
एक जमाना था, जब पहले शादी होती थी। शादी से भी पहले गोदभराई, रिंग सेरेमनी, बरीक्षा, तिलक (फलदान) और भी न जाने क्या- क्या होता था। शादी हो जाने के बाद भी नसीब वालों के […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय उजाले की बात मत करतू सीख ले मरघट की बात करना;क़त्लेआम की बात करना;सामूहिक दुराचार की बात करना;गड़े मुरदों को उखाड़कर राजदरबार मेकलात्मक ढंग से प्रस्तुत करना;भौं-भौं करनेवाले कुत्तों की […]
★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय देखो!थोड़ा नज़दीक आओ।देखो! उस कुत्ते कोअपनी जाति पहचानता है।उसके सामने भीड़ हैगँवार कुत्ते से लेकरअर्द्धशिक्षित-शिक्षित कुत्तों की मण्डलीमन्त्रणा करती आ रही है,‘रिफ़ाइण्ड हड्डी’ का दरकार है;क्योंकि उनकी भी अपनी सरकार […]
★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय बीज घृणा का हर तरफ़, उगने लगी खटास।गदहपचीसी हर जगह, दूर हो रही आस।।गोरखधन्धा दिख रहा, खेल निराले खेल।बाहर से दुश्मन लगें, अन्दर-अन्दर मेल।।गुण्डों का अब राज है, उस पर […]
राजन कुमार साह ‘साहित्य’ (दरभंंगा, बिहार) चंद नेताओं से यारों होता गदहा महान है । चंद पैसो के लिए बेचता नहीं अपना ईमान है । कौन कहता है हमारे देश में महंगाई बहुत है । […]
कवि : सितांशु त्रिपाठी– आज जब मुझे लगा कि शायद न अब हैं मेरे भविष्य का कोई ठिकाना , तब सारे नौकरी वाले दोस्तों ने कहा नौकरी न लगे तो बिल्कुल न तुम घबराना , […]