शुकदेव प्रसाद को उनके संघर्ष ने बनाया महान्
किसी स्वस्थ कर्म करने के लिए व्यक्ति के भीतर से इच्छाशक्ति जाग्रत् होती है, फिर उसका परिणाम और प्रभाव अत्यन्त सुखद होता है, जिसका समाज सम्मान करता आया है। इस सत्य को जीते हुए देश […]
किसी स्वस्थ कर्म करने के लिए व्यक्ति के भीतर से इच्छाशक्ति जाग्रत् होती है, फिर उसका परिणाम और प्रभाव अत्यन्त सुखद होता है, जिसका समाज सम्मान करता आया है। इस सत्य को जीते हुए देश […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय जीवन का परम और चरम सत्य क्या है, इसे मनुष्य जानते-समझते हुए भी अपने अवचेतन की थैली मे कसकर बाँधे रहता है। वही मनुष्य जब किसी ‘चिकित्सालय’ अथवा ‘श्मशानघाट’ के […]
आज (२३ मई) शुकदेव जी के निधन की सूचना वरिष्ठ सम्पादक, छात्रनेता, अग्रजसम प्रभाकर भट्ट जी से लगभग तीन घण्टे-पूर्व ही प्राप्त हो चुकी थी; परन्तु उसकी पुष्टि नहीं हो पा रही थी; अन्तत:, १०.३० […]