मेरी अलार्म घड़ी
1991 में पापा ने कानपुर-रायबरेली रोड पर बने इस दोमंजिला घर की शुरुआत मुख्य सड़क की तरफ से दो कमरे बनाकर की थी। यह सबसे आगे वाला कमरा जिसमें अब शटर लगाकर शॉप का रूप […]
1991 में पापा ने कानपुर-रायबरेली रोड पर बने इस दोमंजिला घर की शुरुआत मुख्य सड़क की तरफ से दो कमरे बनाकर की थी। यह सबसे आगे वाला कमरा जिसमें अब शटर लगाकर शॉप का रूप […]
मेरे बाबा (दादा) का नाम श्री हौसिला बख्स सिंह था। लेकिन घर, गांव, जंवार के सभी लोग उन्हें ‘भाई’ के नाम से पुकारते और जानते थे। हम लोगों के लिए वह ‘भाई बाबा’ थे। भाई […]
एक यात्रा-संस्मरण ● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय जनाब! लखनऊ भी एक शहर है, जो दिल्ली की तरह आलम (सबसे अधिक जाननेवाला) मे इन्तिख़ाब (बहुतों मे से कुछ को छाँट लेना) तो नहीं; लेकिन अपनी तहज़ीबी […]
सन 1988 में रायबरेली के ऊंचाहार कस्बे में थर्मल पावर स्टेशन स्थापित हुआ तो ऊंचाहार को देश की राजधानी दिल्ली से जोड़ने के लिए तत्कालीन इलाहाबाद (वर्तमान प्रयागराज) और दिल्ली के मध्य ‘ऊंचाहार एक्सप्रेस’ रेलगाड़ी […]
पापा रोज शाम को कहते- “मेरी पार्टी वाले लोग, मेरे पास आ आओ। अम्मा की पार्टी वाले, अम्मा की तरफ जाओ।” इतना सुनते ही मैं पापा की तरफ भागता और बड़े भैया अम्मा की तरफ। […]
विनय सिंह बैस (अनुवाद-अधिकारी, लोकसभा सचिवालय)– बहुत समय पहले की बात है। तब मैं 6-7 साल का रहा होऊंगा! उन दिनों ज्यादातर घरों में भोजन पकाने के बाद आग को राख से ढक दिया जाता […]
इन दिनों पापा की ड्यूटी उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की अंग्रेजी विषय की कॉपियां चेक करने में लगा करती थी। 10 दिन की ड्यूटी होती थी। रोज 50 कॉपियां चेक करनी होती थी। उस […]
लेखक- उपेंद्र सिंह /सोनू (ग्राम-कनकुआ, पोस्ट-ताखा, जिला-इटावा) इम्तिहानों से पार पाने के बाद ननिहाल जाने की ऐसी कोई चाहत नहीं हुआ करती थी लेकिन एक लक्ष्य ज़रूर होता था । गेहूँ की कटाई कब शुरू […]
महेन्द्र महर्षि, गुरुग्राम (से.नि. वरिष्ठ प्रसारण अधिकारी, दूरदर्शन) मैंने अपनी हाई स्कूल की परीक्षा अजमेर नगर के स्टेशन रोड पर स्थित गवर्नमेंट मोइनिया स्लामिया हाई स्कूल से 1957 में पास की। श्री मुज़फ़्फ़र अली तब […]